वैष्णव भजन  »  शचीर आंगिनाय नाचे
 
 
ଶ୍ରୀଲ ଵାସୁଦେଵ ଘୋଷ       
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ଶଚୀର ଆଂଗିନାଯ ନାଚେ ଵିଶ୍ଵମ୍ଭର ରାଯ।
ହାସି ହାସି ଫିରୀ ଫିରୀ ମାଯେରେ ଲୁକାଯ॥1॥
 
 
ବଯନେ ଵସନ ଦିଯା ବଲେ ଲୁକାଇନୁ।
ଶଚୀ ବଲେ ଵିଶ୍ଵମ୍ଭର ଆମି ନା ଦେଖିନୁ॥2॥
 
 
ମାଯେର ଆଂଚଲ ଧରୀ ଚଂଚଲ ଚରଣେ।
ନାଚିଯା ନାଚିଯା ଜାଯ ଖଞ୍ଜନ ଗମନେ॥3॥
 
 
ଵାସୁଦେଵ ଘୋଷ କହେ ଅପରୂପ ଶୋଭା।
ଶିଶୁରୂପ ଦେଖି ହଯ ଜଗମନ ଲୋଭା॥4॥
 
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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