श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 24: भगवान् का मत्स्यावतार  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  8.24.19 
 
 
स एनां तत आदाय न्यधादौदञ्चनोदके ।
तत्र क्षिप्ता मुहूर्तेन हस्तत्रयमवर्धत ॥ १९ ॥
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात् राजा उस मछली को जलपात्र से निकाल कर एक विशाल कुँए में फेंक दिया। लेकिन एक क्षण के भीतर ही वह मछली बढ़कर तीन हाथ की हो गई।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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