वैष्णव भजन  »  जीव जागो
 
 
ଶ୍ରୀଲ ଭକ୍ତିଵିନୋଦ ଠାକୁର       
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ଜୀଵ ଜାଗୋ, ଜୀଵ ଜାଗୋ, ଗୋରାଚାଁଦ ବୋଲେ।
କତ ନିଦ୍ରା ଜାଓ ମାଯା-ପିଶାଚୀର କୋଲେ॥1॥
 
 
ଭଜିବ ବଲିଯା ଐସେ ସଂସାର-ଭିତରେ।
ଭୁଲିଯା ରହିଲେ ତୁମି ଅଵିଦ୍ଯାର ଭରେ॥2॥
 
 
ତୋମାର ଲଇତେ ଆମି ହଇନୁ ଅଵତାର।
ଆମି ଵିନା ବନ୍ଧୁ ଆର କେ ଆଛେ ତୋମାର॥3॥
 
 
ଏନେଛି ଔଷଧି ମାଯା ନାଶିବାର ଲାଗି।
ହରିନାମ-ମହାମଂତ୍ର ଲଓ ତୁମି ମାଗି॥4॥
 
 
ଭକତିଵିନୋଦ ପ୍ରଭୁ-ଚରଣେ ପଡିଯା।
ସେଇ ହରିନାମମଂତ୍ର ଲଇଲ ମାଗିଯା॥5॥
 
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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