श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 4: गजेन्द्र का वैकुण्ठ गमन  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  8.4.2 
 
 
नेदुर्दुन्दुभयो दिव्या गन्धर्वा ननृतुर्जगु: ।
ऋषयश्चारणा: सिद्धास्तुष्टुवु: पुरुषोत्तमम् ॥ २ ॥
 
अनुवाद
 
  स्वर्ग लोक में दुन्दुभियाँ बज उठीं, गंधर्वों ने नृत्य और गायन आरंभ कर दिया और महान ऋषियों और चारणलोक एवं सिद्धलोक के निवासियों ने भगवान् पुरुषोत्तम की स्तुतियाँ कीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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