श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 8: भगवान् नृसिंह द्वारा असुरराज का वध  »  श्लोक 55
 
 
श्लोक  7.8.55 
 
 
श्रीकिन्नरा ऊचु:
वयमीश किन्नरगणास्तवानुगा
दितिजेन विष्टिममुनानुकारिता: ।
भवता हरे स वृजिनोऽवसादितो
नरसिंह नाथ विभवाय नो भव ॥ ५५ ॥
 
अनुवाद
 
  किन्नर बोले: हे परम नियन्ता, हम सदा से आपकी सेवा में संलग्न हैं, परंतु आपकी सेवा में युक्त न होकर इस असुर की बेगारी में हम सब लगाये गये थे। अब आपने इस पापी का संहार किया है, अतएव हे नृसिंहदेव, हे स्वामी, हम आपको सादर नमस्कार करते हैं। कृपया हमारे संरक्षक बने रहें।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.