श्रीहिरण्यकशिपुरुवाच
हे दुर्विनीत मन्दात्मन्कुलभेदकराधम ।
स्तब्धं मच्छासनोद्वृत्तं नेष्ये त्वाद्य यमक्षयम् ॥ ५ ॥
अनुवाद
हिरण्यकशिपु बोला: अरे अशिष्ट, बड़े ही मूर्ख, परिवार का नाश करने वाले! हे नीच! तुमने उस शक्ति का उल्लंघन किया है जो तुम पर शासन करती है, इसलिए तुम हठी मूर्ख हो। आज मैं तुम्हें यमराज के घर भेजूंगा।