प्रबल और शक्तिशाली भगवान नारायण ने जोर से हँसते हुए हिरण्यकशिपु को पकड़ लिया, जो अपनी तलवार और ढाल से अपनी सुरक्षा कर रहा था और कोई भी हमला करने का मौका नहीं छोड़ रहा था। बाज की गति से हिरण्यकशिपु कभी आकाश में चला जाता तो कभी पृथ्वी पर आ जाता। नृसिंहदेव की हंसी के डर से उसने अपनी आँखें बंद कर ली थीं।