यद्यपि ब्रह्मा जैसे देवताओं के मानसिक स्तर भी परमेश्वर की अनंत महिमा का अनुमान लगाने में असमर्थ थे, परंतु वे सभी उनके दिव्य रूप को देखने में सफल रहे। यह केवल उनकी कृपा से ही संभव हो सका। अतः वे अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार परमेश्वर की आदरपूर्वक स्तुति कर सके।