श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 8: राजा परीक्षित द्वारा पूछे गये प्रश्न  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  2.8.22 
 
 
यो वानुशायिनां सर्ग: पाषण्डस्य च सम्भव: ।
आत्मनो बन्धमोक्षौ च व्यवस्थानं स्वरूपत: ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  कृपया यह भी बताएँ कि भगवान् के शरीर में समाहित जीवों की उत्पत्ति कैसे होती है और पाखंडी लोग इस संसार में कैसे प्रकट होते हैं? यह भी बताएँ कि अबद्ध जीव किस प्रकार विद्यमान रहते हैं?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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