ता: पुत्रमङ्कमारोप्य स्नेहस्नुतपयोधरा: ।
हर्षविह्वलितात्मान: सिषिचुर्नेत्रजैर्जलै: ॥ २९ ॥
अनुवाद
माताएँ अपने बेटे को गले लगाने के बाद उसे प्यार से अपने गोद में बिठाती हैं। उनके स्नेह के कारण उनके स्तनों से दूध टपकने लगता है। वे खुशी से रोने लगती हैं और उनके आँसुओं से प्रभु भीग जाते हैं।