श्री विष्णु पुराण  »  अंश 5: पंचम अंश  » 
 
 
 
 
अध्याय 1:  वसुदेव-देवकीका विवाह, भारपीडिता पृथिवीका देवताओंके सहित क्षीरसमुद्रपर जाना और भगवान् का प्रकट होकर उसे धैर्य बँधाना, कृष्णावतारका उपक्रम
 
अध्याय 2:  भगवान् का गर्भ-प्रवेश तथा देवगणद्वारा देवकीकी स्तुति
 
अध्याय 3:  भगवान् का आविर्भाव तथा योगमायाद्वारा कंसकी वंचना
 
अध्याय 4:  वसुदेव-देवकीका कारागारसे मोक्ष
 
अध्याय 5:  पूतना-वध
 
अध्याय 6:  शकटभंजन, यमलार्जुन-उद्धार, व्रजवासियोंका गोकुलसे वृन्दावनमें जाना और वर्षा-वर्णन
 
अध्याय 7:  कालिय-दमन
 
अध्याय 8:  धेनुकासुर-वध
 
अध्याय 9:  प्रलम्ब-वध
 
अध्याय 10:  शरद‍्वर्णन तथा गोवर्धनकी पूजा
 
अध्याय 11:  इन्द्रका कोप और श्रीकृष्णका गोवर्धन-धारण
 
अध्याय 12:  शक्र-कृष्ण-संवाद, कृष्ण-स्तुति
 
अध्याय 13:  गोपोंद्वारा भगवान् का प्रभाववर्णन तथा भगवान् का गोपियोंके साथ रासक्रीडा करना
 
अध्याय 14:  वृषभासुर-वध
 
अध्याय 15:  कंसका श्रीकृष्णको बुलानेके लिये अक्रूरको भेजना
 
अध्याय 16:  केशि-वध
 
अध्याय 17:  अक्रूरजीकी गोकुलयात्रा
 
अध्याय 18:  भगवान् का मथुराको प्रस्थान, गोपियोंकी विरह-कथा और अक्रूरजीका मोह
 
अध्याय 19:  भगवान् का मथुरा-प्रवेश, रजक-वध तथा मालीपर कृपा
 
अध्याय 20:  कुब्जापर कृपा, धनुर्भंग, कुवलयापीड और चाणूरादि मल्लोंका नाश तथा कंस-वध
 
अध्याय 21:  उग्रसेनका राज्याभिषेक तथा भगवान् का विद्याध्ययन
 
अध्याय 22:  जरासन्धकी पराजय
 
अध्याय 23:  द्वारका-दुर्गकी रचना, कालयवनका भस्म होना तथा मुचुकुन्दकृत भगवत्स्तुति
 
अध्याय 24:  मुचुकुन्दका तपस्याके लिये प्रस्थान और बलरामजीकी व्रजयात्रा
 
अध्याय 25:  बलभद्रजीका व्रज-विहार तथा यमुनाकर्षण
 
अध्याय 26:  रुक्मिणी-हरण
 
अध्याय 27:  प्रद्युम्न-हरण तथा शम्बर-वध
 
अध्याय 28:  रुक्मीका वध
 
अध्याय 29:  नरकासुरका वध
 
अध्याय 30:  पारिजात-हरण
 
अध्याय 31:  भगवान् का द्वारकापुरीमें लौटना और सोलह हजार एक सौ कन्याओंसे विवाह करना
 
अध्याय 32:  उषा-चरित्र
 
अध्याय 33:  श्रीकृष्ण और बाणासुरका युद्ध
 
अध्याय 34:  पौण्ड्रक-वध तथा काशीदहन
 
अध्याय 35:  साम्बका विवाह
 
अध्याय 36:  द्विविद-वध
 
अध्याय 37:  ऋषियोंका शाप, यदुवंशविनाश तथा भगवान् का स्वधाम सिधारना
 
अध्याय 38:  यादवोंका अन्त्येष्टि-संस्कार, परीक्षित् का राज्याभिषेक तथा पाण्डवोंका स्वर्गारोहण
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
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