श्री विष्णु पुराण  »  अंश 4: चतुर्थ अंश  » 
 
 
 
 
अध्याय 1:  वैवस्वतमनुके वंशका विवरण
 
अध्याय 2:  इक्ष्वाकुके वंशका वर्णन तथा सौभरिचरित्र
 
अध्याय 3:  मान्धाताकी सन्तति, त्रिशंकुका स्वर्गारोहण तथा सगरकी उत्पत्ति और विजय
 
अध्याय 4:  सगर, सौदास, खट्वांग और भगवान‍् रामके चरित्रका वर्णन
 
अध्याय 5:  निमि-चरित्र और निमिवंशका वर्णन
 
अध्याय 6:  सोमवंशका वर्णन; चन्द्रमा, बुध और पुरूरवाका चरित्र
 
अध्याय 7:  जह्नुका गंगापान तथा जमदग्नि और विश्वामित्रकी उत्पत्ति
 
अध्याय 8:  काश्यवंशका वर्णन
 
अध्याय 9:  महाराज रजि और उनके पुत्रोंका चरित्र
 
अध्याय 10:  ययातिका चरित्र
 
अध्याय 11:  यदुवंशका वर्णन और सहस्रार्जुनका चरित्र
 
अध्याय 12:  यदुपुत्र क्रोष्टुका वंश
 
अध्याय 13:  सत्वतकी सन्ततिका वर्णन और स्यमन्तकमणिकी कथा
 
अध्याय 14:  अनमित्र और अन्धकके वंशका वर्णन
 
अध्याय 15:  शिशुपालके पूर्व-जन्मान्तरोंका तथा वसुदेवजीकी सन्ततिका वर्णन
 
अध्याय 16:  तुर्वसुके वंशका वर्णन
 
अध्याय 17:  द्रुह्युवंश
 
अध्याय 18:  अनुवंश
 
अध्याय 19:  पुरुवंश
 
अध्याय 20:  कुरुके वंशका वर्णन
 
अध्याय 21:  भविष्यमें होनेवाले राजाओंका वर्णन
 
अध्याय 22:  भविष्यमें होनेवाले इक्ष्वाकुवंशीय राजाओंका वर्णन
 
अध्याय 23:  मगधवंशका वर्णन
 
अध्याय 24:  कलियुगी राजाओं और कलिधर्मोंका वर्णन तथा राजवंश-वर्णनका उपसंहार
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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