श्री विष्णु पुराण  »  अंश 2: द्वितीय अंश  » 
 
 
 
 
अध्याय 1:  प्रियव्रतके वंशका वर्णन
 
अध्याय 2:  भूगोलका विवरण
 
अध्याय 3:  भारतादि नौ खण्डोंका विभाग
 
अध्याय 4:  प्लक्ष तथा शाल्मल आदि द्वीपोंका विशेष वर्णन
 
अध्याय 5:  सात पाताललोकोंका वर्णन
 
अध्याय 6:  भिन्न-भिन्न नरकोंका तथा भगवन्नामके माहात्म्यका वर्णन
 
अध्याय 7:  भूर्भुव: आदि सात ऊर्ध्वलोकोंका वृत्तान्त
 
अध्याय 8:  सूर्य, नक्षत्र एवं राशियोंकी व्यवस्था तथा कालचक्र, लोकपाल और गंगाविर्भावका वर्णन
 
अध्याय 9:  ज्योतिश्चक्र और शिशुमारचक्र
 
अध्याय 10:  द्वादश सूर्योंके नाम एवं अधिकारियोंका वर्णन
 
अध्याय 11:  सूर्यशक्ति एवं वैष्णवी शक्तिका वर्णन
 
अध्याय 12:  नवग्रहोंका वर्णन तथा लोकान्तरसम्बन्धी व्याख्यानका उपसंहार
 
अध्याय 13:  भरत-चरित्र
 
अध्याय 14:  जडभरत और सौवीरनरेशका संवाद
 
अध्याय 15:  ऋभुका निदाघको अद्वैतज्ञानोपदेश
 
अध्याय 16:  ऋभुकी आज्ञासे निदाघका अपने घरको लौटना
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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