वैष्णव भजन  »  कोथाय गो प्रेममयी राधे राधे
 
 
श्रील गौर किशोर दास बाबाजी       
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कोथाय गो प्रेममयी राधे राधे।
राधे राधे गो, जय राधे राधे॥1॥
 
 
देखा दिये प्राण राख राधे राधे।
तोमार काङ्गाल तोमाय डाके राधे राधे॥2॥
 
 
राधे वृन्दावन - विलासिनी राधे राधे।
राधे कानुमनमोहिनी राधे राधे॥3॥
 
 
राधे अष्टसखीर शिरोमणि राधे राधे।
राधे वृषभानुनन्दिनी राधे राधे।
( गोसाजी ) नियम करे सदाइ डाके, राधे राधे॥4॥
 
 
(गोसाजी) एकबार डाके केशीघाटे।
आबार डाके वंशीवटे, राधे राधे॥
 
 
(गोसाजी) एकबार डाके निधुवने।
आबार डाके कुञ्जवने, राधे राधे॥5॥
 
 
(गोसाजी) एकबार डाके राधाकुण्डे।
आबार डाके श्यामकुण्डे, राधे राधे॥
 
 
(गोसाजी) एकबार डाके कुसुमवने।
आबार डाके गोवर्धने, राधे राधे॥6॥
 
 
(गोसाञी) एकबार डाके तालवने।
आबार डाके तमालवने, राधे राधे॥
 
 
(गोसाजी) मलिन वसन दिये गाय।
व्रजेर धूलाय गड़ागड़ी जाय, राधे राधे॥7॥
 
 
(गोसाञी) मुखे राधा राधा बले।
भासे नयनेर जले, राधे राधे॥
 
 
(गोसाजी) वृन्दावने कुलि कुलि केंदे बेड़ाय।
राधा बलि', राधे राधे॥8॥
 
 
(गोसाजी) छापान्न दण्ड रात्रि दिने।
जाने ना राधा-गोविन्द बिने, राधे राधे॥9॥
 
 
तार पर चारि दण्ड शुति थाके।
स्वपने राधा-गोविन्द देखे, राधे राधे॥10॥
 
 
 
 
(1) हे प्रेममयी राधे ! आप कहाँ हैं?
 
 
(2) आपका यह कङ्गाल (दास) आपको पुकार रहा है। एक बार दर्शन प्रदानकर मेरे प्राणोंकी रक्षा कीजिए ।
 
 
(3) हे वृन्दावन विलासिनी श्रीराधे ! हे श्रीश्यामसुन्दरके मनको भी हरण करनेवाली श्रीराधे !
 
 
(4) हे ललिता, विशाखा आदि अष्ट सखियोंकी शिरोमणि, वृषभानुनन्दिनी श्रीराधे ! इस प्रकार श्रीरघुनाथ दास गोस्वामी सदा नियमपूर्वक श्रीमती राधिकाजीको पुकारते हैं।
 
 
(5) कभी केशीघाटमें पुकारते हैं, तो कभी वंशीवटमें, कभी निधुवनमें तो कभी कुञ्जवनमें, ।
 
 
(6) कभी राधाकुण्डमें, तो कभी श्याम कुण्डमें, कभी कुसुम सरोवरमें, तो कभी गोवर्धनमें, ।
 
 
(7) कभी तालवनमें, तो कभी तमालवनमें। शरीरपर मलिन वस्त्र धारणकर ब्रजकी धूलमें लोटपोट हो रहे हैं तथा मुखसे हे राधे ! हे राधे ! पुकारते हैं ।
 
 
(8) हे राधे ! हे राधे ! पुकारते हुए उनकी आँखोंसे आसुओंकी धारा बह रही है। वे वृन्दावनकी गलियोंमें रोते-रोते राधे-राधे कहते हुए घूमते हैं।
 
 
(9) वे रात-दिन छप्पन दण्ड राधा-गोविन्दकी सेवामें ही निमग्न रहते हैं (60 दण्ड: 24 घंटे) ।
 
 
(10) वे मात्र चार दण्ड शयन करते हैं । परन्तु सोते हुए स्वप्नमें भी राधागोविन्दके दर्शन करते हैं।
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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