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मधुर मधुर गौर किशोर  |
राय शेखर |
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मधुर-मधुर गौर किशोर
मधुर मधुर नाट।
मधुर-मधुर सब सहचर
मधुर मधुर हाट॥1॥ |
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मधुर-मधुर मृदंग बाजत
मधुर-मधुर तान।
मधुर-रसते मातल भकत
गाओत मधुर गान॥2॥ |
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मधुर हेलन मधुर डोलन
मधुर-मधुर गती।
मधुर-मधुर वचन सुंदर
मधुर-मधुर भाति॥3॥ |
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मधुर-अधर जिनि शशधर
मधुर-मधुर हास।
आरति पिरीती चरिति मधुर
मधुर-मधुर भाष॥4॥ |
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मधुर युगल नयन रातुल
मधुर इंगिते चाय।
मधुर प्रेमेर मधुर बादर
वंचित शेखर राय॥5॥ |
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शब्दार्थ |
(1) मधुर, नवयौवन पूर्ण तरुण श्रीचैतन्य महाप्रभु, भगवान् गौरकिशोर मधुर हैं। मधुर है, उनक नृत्य मधुर है। मधुर, उनके समस्त साथी, सहचर मधुर हैं। मधुर, उनका हाट (बाजार) मधुर है। |
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(2) मधुर, मृदगों की ध्वनि मधुर है। मधुर है, तान, लय, संगीत मधुर है। उनके भक्त भावपूर्ण आध्यात्मिक प्रेम के मधुर अमृत रस में अत्यन्त उत्साहित हैं। मधुर, उन सबका गायन मधुर है। |
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(3) अपने संगी-साथी का सहारा लेकर उसकी ओर झुकना मधुर है और मधुर है उनका इधर-उधर डोलना। मधुर, उनकी गति मधुर हैं। मधुर, उनके सुन्दर वचन मधुर हैं। मधुर उनकी कान्तिमय महिमा मधुर है। |
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(4) उनके होंठ मधुर हैं जो चन्द्रमा को भी परास्त कर देते हैं। मधुर, मधुर है उनकी हँसी। मधुर है उनकी आरती, उनका भावपूर्ण आध्यात्मिक प्रेम और उनका चरित्र। मधुर, मधुर है उनकी भाषा। |
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(5) मधुर है उनके लाल नेत्र। मधुर हैं उनकी तिरछी नजरें। परन्तु शेखराय ने उनकी मधुर प्रेममयी सेवा प्राप्त नहीं की है। |
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ |
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