वैष्णव भजन  »  जय राधे जय राधे राधे
 
 
हरि व्यास देवाचार्य       
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(टेक) नव – नव रंगी त्रिभंगी जय, श्याम सु – अंगी श्याम।
जय राधे जय हरि – प्रिये, श्रीराधे सुख धाम॥
 
 
जय राधे जय राधे राधे जय राधे जय श्री – राधे
जय कृष्ण जय कृष्ण कृष्ण जय कृष्ण जय श्री – कृष्ण॥1॥
 
 
श्यामा गोरी नित्य किशोरी प्रीतम – जोरी श्री – राधे
रसिक रसीलो छैल – छबिलो गुणगर्बीलो श्री – कृष्ण॥2॥
 
 
रास – विहारिणी रस – विस्तारिणी पियउर धारिणी श्री – राधे
नव – नव रंगी नवल – त्रिभंगी श्याम सु – अंगी श्री – कृष्ण॥3॥
 
 
प्राण – पियारी रूप – उजयारी अति – सुकुँवारी श्री – राधे
मैन – मनोहर महा – मोद – कर सुंदर – बर – तर श्री – कृष्ण॥4॥
 
 
सोभा – सैनी मोभा – मैनी कोकिल – बैनी श्री – राधे
कीर्ति – वंता कामिनी – कंता श्रीभगवंता श्री – कृष्ण॥5॥
 
 
चंदा – बदनी कुंदा – रङनी सोभा – सदनी श्री – राधे
परम – उदारा प्रभा – अपारा अति – सुकुँवारा श्री – कृष्ण॥6॥
 
 
हंसा – गवनी राजति – रवनी क्रीडा – कवनी श्री – राधे
रूप – रसाला नैन – विशाला परम – कृपाला श्री – कृष्ण॥7॥
 
 
कञ्चन – बेली रति – रस – रेली अति अलबेली श्री – राधे
सब – सुख सागर सबगुण – आगर रूप – उजागर श्री – कृष्ण॥8॥
 
 
रवनी – रम्या तर – तर – तम्या गुण – अगम्या श्री – राधे
धाम – निवासी प्रभा – प्रकाशी सहज – सुहासी श्री – कृष्ण॥9॥
 
 
शक्त्यह्लादिनी अति – प्रिय – वादिनि उर – उन्मादिनि श्री – राधे
अंग – अंग तौन सरस – सलौना सुभग – सुथौन श्री – कृष्ण॥10॥
 
 
राधा – नामिनी गुण – अभिरामिनी हरिप्रिय – स्वामिनी श्री – राधे
हरे – हरे – हरि हरे – हरे – हरि हरे – हरे – हरि श्री – कृष्ण॥11॥
 
 
अर्थ / अनुवाद केवल अंग्रेजी में उपलब्ध है।
 
 
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