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भोग लगाने हेतु मंत्र  |
भाषा: हिन्दी | English | தமிழ் | ಕನ್ನಡ | മലയാളം | తెలుగు | ગુજરાતી | বাংলা | ଓଡ଼ିଆ | ਗੁਰਮੁਖੀ | |
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नम ॐ विष्णु-पादाय कृष्ण-प्रेष्ठाय भूतले।
श्रीमते भक्तिवेदान्त-स्वामिन् इति नामिने॥1॥ |
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नमस्ते सारस्वते देवे गौर-वाणी प्रचारिणे।
निर्विशेष-शून्यवादी-पाश्चात्य-देश-तारिणे॥2॥ |
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नमो महावदान्याय कृष्ण-प्रेम-प्रदाय ते।
कृष्णाय कृष्ण-चैतन्य-नाम्ने गौरत्विषे नमः॥3॥ |
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नमो ब्रह्मण्यदेवाय गोब्राह्मणहिताय च।
जगद्धिताय कृष्णाय गोविन्दाय नमो नमः॥4॥ |
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श्रीकृष्ण चैतन्य प्रभु नित्यानन्द।
श्रीअद्वैत गदाधर श्रीवासादि-गौरभक्तवृन्द॥5॥ |
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥6॥ |
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शब्दार्थ |
अर्थ / अनुवाद - अलग-अलग मंत्र में उपलब्ध है (मंत्र को सूचि से चुनें और खोले)। |
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ |
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