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तिलक मंत्र  |
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ललाटे केशवं ध्यायेन् नारायणमथोदरे
वक्षःस्थले माधवं तु गोविन्दं कण्ठकूपके॥1॥ |
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विष्णुं च दक्षिणे कुक्षौ बाहौ च मधुसूदनम्
त्रिविक्रमं कन्धरे तु वामनं वामपार्श्वके॥2॥ |
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श्रीधरं वामबाहौ तु हृषीकेशं तु कन्धरे
पृष्ठे च पद्मनाभं च कटयां दामोदरं न्यसेत्॥3॥ |
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शब्दार्थ |
(1) मस्तक पर तिलक लगते समय केशव का स्मरण करें। उदार में तिलक लगते समय नारायण का, वक्षस्थल पर तिलक लगते समय माधव का, गले के गड्ढे में तिलक लगते समय गोविन्द का स्मरण करें। |
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(2) दाहिनी कोख में लगते समय विष्णु का तथा दाहिनी भुजा में तिलक लगते समय मधुसूदन का स्मरण करें। दाहिने कंधे में तिलक लगते समय त्रिविक्रम का, उदार के बाईं ओर तिलक लगते समय वामन का स्मरण करें। |
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(3) बाईं भुजा में तिलक लगते समय श्रीधर का तथा बाएँ कंधे में तिलक लगते समय हृषिकेश का स्मरण करें। पीठ पर तिलक लगते समय पद्मनाभ तथा दामोदर का स्मरण करें। |
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[चैतन्य चरितामृत, मध्य 20.202, तात्पर्य] |
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1) माथे पर - श्री केशवाय नमः |
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2) उदर पर - श्री नारायणाय नमः |
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3) छाती पर - श्री माधवाय नमः |
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4) दाईं कंठ पर - श्री गोविन्दाय नमः |
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5) दाईं कमर पर - श्री विष्णवे नमः |
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6) दाईं बाह पर - श्री मधुसूदनाय नमः |
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7) बाईं कंधे पर - श्री त्रिविक्रमाय नमः |
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8) बाईं कमर पर - श्री वामनाय नमः |
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9) बाईं बाह पर - श्री श्रीधराय नमः |
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10) कंधे पर - श्री हृषिकेशाय नमः |
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11) पीछे गर्दन के निचे - श्री पद्मनाभाय नमः |
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12) कमर के निचले भाग में - श्री दामोदराय नमः |
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13) सर के ऊपर - श्री वासुदेवाय नमः |
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ |
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