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गाय गोराचाँद जीवेर तरे  |
श्रील भक्तिविनोद ठाकुर |
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(टेक) गाय गोराचाँद जीवेर तरे।
हरे कृष्ण हरे॥ |
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे कृष्ण हरे॥ |
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हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।
हरे कृष्ण हरे॥1॥ |
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एकबार बल रसना उच्चैःस्वरे
(बल) नन्देर नन्दन यशोदा-जीवन
श्री-राधा-रमण प्रेम भरे॥2॥ |
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(बल) श्री-मधूसुदन, गोपी-प्राण-धन,
मुरली-वदन नृत्य करे।
(बल) अघ-निसूदन पूतना-घातन,
ब्रह्मा-विमोहन, उर्ध्व-करे॥3॥ |
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शब्दार्थ |
(टेक) भगवान गौरांग जीवों के लाभ हेतु निम्न प्रकार से गाते हैं- |
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(1) हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे॥ |
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(2) केवल एक बार अपनी जिह्वा द्वारा, कृष्ण के इन नामों का उँचे स्वर में या जोर से उच्चारण करो, “नन्द महाराज के पुत्र- ‘नन्द-नन्दन’ यशोदा जी के प्राण-आधार, ‘यशोदा-जीवन’, और श्री ‘राधा-रमण’ जो राधाजी के संग में आनन्द उठाते हैं। ऐसा करके स्वयं के दिवय परम आनन्दित प्रेम भाव से परिपूर्ण कर लो। ” |
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(3) परम आनन्द प्रेम भाव में नृत्य करो और अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाकर निम्नलिखित पवित्र भगवन्नामों का उच्चारण करो, ‘श्रीमधुसूदन’ (मधु नामक राक्षस का वध करने वाले), ‘गोपी-प्राण-धन’ (गोपियों का जीवन व संपत्ति), ‘मुरली-वदन’ (बाँसुरी बजाने वाले), ‘अघ-निसूदन’ (अघासुर राक्षस का वध करने वाले), ‘पूतना-घातन’ (पूतना राक्षसी का अंत करने वाले) और ब्रह्म-विमोहन (भगवान् ब्रह्मा को भ्रमित करने वाले)। |
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ |
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