वैष्णव भजन  »  केनो हरे कृष्ण नाम
 
 
श्रील भक्तिविनोद ठाकुर       
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(टेक) केनो हरे कृष्ण नाम हरि बोले।
मनो प्राण काँदे ना॥धृ॥
 
 
पखि ना जानि कोन अपराधे
मुखे हरे कृष्ण नाम बोलो ना॥1॥
 
 
बनेर पखि रे धरे राक्लाम हृदय मन्दिरे
मधु माखा एइ हरि नाम
पखि रे शिखैले शिखे॥2॥
 
 
पखि सकल नाम बोल्ते परो
केनो हरे कृष्ण नाम बोलो ना
केनो हरे कृष्ण नाम हरि बोले मनो प्राण काँदे ना॥3॥
 
 
छलो पखि रूपेर देशे जाइ
जे देशेते मनेर मानुष आसा जाओया नाइ॥4॥
 
 
पखि रे तोर मरण कालेते
चरबि वासेर दोलाते
ओरे चार जनेते काँधे कोरे
लोये जाबे स्मशान घाटेते॥5॥
 
 
ओरे तोर मुखे आगुण जिह्वे तुले।
कि कोरोबि ताइ बोलो ना॥6॥
 
 
(टेक) ओह, पवित्र नाम हरे कृष्ण का उच्चारण करते समय मेरा हृदय रोता क्यों नहीं है। मेरे हृदय का पक्षी नहीं जानता है कि हरे कृष्ण का उपयुक्त रूप से जप करनेकी इस अयोग्यता को उत्पन्न करने के लिए, इसने पूर्व जन्मों में क्या पापपूर्ण कार्य किए हैं।
 
 
(1) हे वन के पक्षी! मैंने अपने हृदय की कुटिया के अन्दर, तुम्हारे लिए कुछ, बहुत ध्यानपूर्वक रखा है- भगवान हरि का पवित्र नाम, जो शुद्ध मधुर शहद से पूरा भर कर बह रहा है (शुद्ध मधुरता से ओत प्रोत है)। हे पक्षी, यदि तुम्हें सिखाया जाता तो तुम इस नाम का उच्चारण करना सीख जाते।
 
 
(2) एक पक्षी समस्त नामों को सरलता से बोलने के योग्य होता है फिर मेरे हृदय का यह पक्षी हरे कृष्ण का नाम जप करने के लिए क्यों मना कर रहा है? ओह, पवित्र नाम हरे कृष्ण का उच्चारण करते समय मेरा हृदय रोता क्यों नहीं है?
 
 
(3) हे पक्षी! आओ, चलो, सत्य एवं स्थायी सौंदर्य की भूमि, आध्यात्मिक जगत में चलें। यह वह स्थान है जहाँ मेरे मन का काल्पनिक मनुष्य पुनः कभी नहीं आएगा और जन्म व मृत्यु के चक्र में फिर कभी नहीं घूमता रहेगा।
 
 
(4) हे पक्षी! मृत्यु के समय, तुम्हारा शरीर, चार वयक्तियों के कंधों पर उठाए, एक अंत्येष्टि संस्कार करने वाली अर्थी पर रख दिया जाएगा और श्मशान भूमि ले जाया जाएगा।
 
 
(5) हाय! दाह अग्नि तब तुम्हारे मुख में प्रवेश कर जाएगी और पूर्ण रूप से तुम्हारी जिह्वा को नष्ट कर देगी, उसकी शक्ति छीन लेगी। वहाँ ऐसा कुछ नहीं होगा जिससे तुम स्वयं की रक्षा कर सको, क्योंकि उस समय, बहुत देर हो चुँकी होगी- तुम और अधिक समय के लिए बोलने के योग्य नहीं रहोगे।
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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