|
|
|
एखोन बुझिनु प्रभु  |
श्रील भक्तिविनोद ठाकुर |
भाषा: हिन्दी | English | தமிழ் | ಕನ್ನಡ | മലയാളം | తెలుగు | ગુજરાતી | বাংলা | ଓଡ଼ିଆ | ਗੁਰਮੁਖੀ | |
|
|
एखोन बुझिनु प्रभु! तोमार चरण
अशोकाभयामृत – पूर्ण सर्व – खण॥1॥ |
|
|
सकल छाडिया तुआ चरण – कमले
पडियाचि आमि नाथ! तव पद – तले॥2॥ |
|
|
तव पाद – पद्म नाथ! रखिबे आमारे
आर रखा – कर्ता नाहि ए भव – संसारे॥3॥ |
|
|
आमि तव नित्य – दास – जानिनु ए – बार॥4॥ |
|
|
आमार पालन – भार एखन तोमार
बड दुःख पाइयाचि स्वतंत्र जीवने
दुःख दूरे गेलो ओ पद – वरणे॥5॥ |
|
|
जे पद लागिया रमा तपस्य करिला
जे पद पाइया शिव शिवत्व लभिला॥6॥ |
|
|
जे – पद लभिया ब्रह्मा कृतार्थ होइला
जे – पद नारद मुनि हृदये धरिला॥7॥ |
|
|
सेइ से अभय पद शिरेते धरिया
परम – आनन्दे नाचि पद – गुण गाइया॥8॥ |
|
|
संसार – विपद होइते अवश्य उद्धार
भक्तिविनोद, ओ – पद करिबे तोमार॥9॥ |
|
|
शब्दार्थ |
(1) हे प्रभु! मैं अब समझ गया हूँ कि आपके चरण पूर्ण अमृत से भरे हैं तथा समस्त शोक और भय को नष्ट करने वाले हैं। |
|
|
(2) अपना सर्वस्व उन चरणकमलों पर समर्पित करके मैं आपके पादपद्मों की शरण ग्रहण करता हूँ। |
|
|
(3) हे नाथ! आपके चरणकमल निश्चित् ही मेरी रक्षा करेंगे। इस जन्म-मृत्यु के संसार में उनके अतिरिक्त मेरा अन्य कोई संरक्षक नहीं है। |
|
|
(4) अततः मैं जान गया कि मैं आपका नित्य दास हूँ। अब मेरे पालन का पूरा भार आपके ऊपर है। |
|
|
(5) आपसे स्वतन्त्र जीवन व्यतीत करके मैंने दःख के अतिरिक्त अन्य कुछ नहीं पाया है। किन्तु अब आपके चरणकमलों को स्वीकार करने से मेरे सभी दःख दूर चले गये हैं। |
|
|
(6) आपके चरणकमलों पर स्थान प्राप्त करने के लिए लक्ष्मीजी ने कठोर तपस्या की। आपके चरणकमलों को प्राप्त करने पर ही शिवजी को अपना शिवत्व प्राप्त हआ। |
|
|
(7) आपके चरणकमल प्राप्त होने पर ही ब्रह्माजी की इच्छायें पूरी हर्इं। इन्हीं चरणकमलों को श्रीनारदमुनि सदैव अपने हृदय में धारण करते हैं। |
|
|
(8) अभय प्रदान करने वाले उन्हीं चरणकमलों को मैं अपने सिर पर धारण करता हूँ और परम आनन्द में नाचते हए उनकी महिमायें गाता हूँ। |
|
|
(9) आपके चरणकमल निश्चित् ही भक्तिविनोद का इस संसार की विपदाओं से उद्धार करेंगे। |
|
|
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ |
|
|
|