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राधिका चरण रेणु  |
श्रील नरोत्तमदास ठाकुर |
भाषा: हिन्दी | English | தமிழ் | ಕನ್ನಡ | മലയാളം | తెలుగు | ગુજરાતી | বাংলা | ଓଡ଼ିଆ | ਗੁਰਮੁਖੀ | |
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राधिका चरण रेणु, भूषण करिया तनु,
अनायासे पाबे गिरिधारी।
राधिका-चरणाश्रय, जे करे से महाशय
ताँर मुञी जाइ बलिहारी॥1॥ |
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जय जय राधानाम, वृंदावन जाँर धाम,
कृष्णसुख विलासेर निधि।
हेन राधा-गुण-गान, ना शुनिल मोर कान,
वंचित करिल मोरे विधि॥2॥ |
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ताँर भक्त संग सदा, रसलीला प्रेम-कथा,
जे कहे से पाय घनश्याम।
इहाते विमुख जेइ, ताँर कभु सिद्धि नेइ,
नाहि जने शुनि तार नाम॥3॥ |
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कृष्णनाम-गानेभाइ, राधिका-चरण पाइ,
राधानाम गाने कृष्णचंद्र।
संक्षेपे कहिनु कथा, घुचाउ मनेरवयथा,
दुःखमय अन्य कथा-द्वंद्व॥4॥ |
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अहंकार अभिमान, असत्-संग असत्-ज्ञान,
छाडि’ भज गुरु-पादपद्म।
करि आत्मनिवेदन, देह-गेह-परिजन,
गुरु-वाक्य परम महत्त्व॥5॥ |
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शब्दार्थ |
(1) श्रीराधिका के चरण कमलों की रज से (धूल से) अपने शरीर को सुशोभित करो। तब, तुम गोवर्धन पर्वत को उठाने वाले गिरधारी श्रीकृष्ण की पूर्ण कृपा प्राप्त करोगे। जो राधिकाजी के चरण कमलों का आश्रय स्वीकार करता है, मैं उसकी महिमा का गुणगान एक महान् वयक्ति (या महापुरुष) के रूप में करता हूँ। |
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(2) श्रीराधाजी के पवित्र नामों की जय हो, जो नित्य वृन्दावन में वास करती हैं। वे कृष्ण की प्रसन्नता का सागर हैं। मैं विधाता के विधान (या दैवी शक्ति) द्वारा ठगा गया हूँ क्योंकि मैंने श्रीराधिका की महिमा के विषय में श्रवण नहीं किया है। |
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(3) जो वयक्ति श्रीराधाजी के भक्तों के संग में रहता है और राधाजी की प्रेमपूर्ण लीलाओं के विषय में चर्चा करता है, वह निश्चय ही भगवान् श्यामसुन्दर को प्राप्त करता है। कोई भी, जो इसके प्रतिकूल होता है, कभी भी पूर्ण सिद्धि प्राप्त नहीं करता है और मैं ऐसे वयक्ति का नाम भी सुनना नहीं चाहता हूँ। |
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(4) हे भाई, केवल कृष्ण के नामों का उच्चारण करने से ही, वयक्ति श्रीराधि काजी के चरण कमलों को प्राप्त कर सकता है, और राधिकाजी के नामेां का उच्चारण करके, वयक्ति कृष्ण के चरण कमलों को प्राप्त कर सकता है। अतः मैंने संक्षेप में, सबकुछ वर्णन कर दिया है जिसके द्वारा तुम अपने हृदय के दुःख से मुक्त हो जाओगे। अन्य सभी विषय कष्टों एवं द्वंद से पूर्ण हैं। |
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(5) मिथ्या अभिमान एवं घमंड को त्याग दो। कुसंगति व तुच्छ निरर्थक भौतिक ज्ञान को प्राप्त करने के प्रयास को त्याग कर, आध्यात्मिक गुरु के चरण कमलों की आराधना करो। अपनी देह, घर एवं परिवार को सदस्यों केा उनके चरणों में समर्पित कर दो। आध्यात्मिक गुरु के मुख कमल से निकले शब्द (वाणी) सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हैं। |
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ |
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