श्री रामचरितमानस » काण्ड 7: उत्तर काण्ड » दोहा 27 |
|
| | काण्ड 7 - दोहा 27  | चारु चित्रसाला गृह गृह प्रति लिखे बनाइ।
राम चरित जे निरख मुनि ते मन लेहिं चोराइ॥27॥ | | अनुवाद | | घर-घर में सुन्दर चित्र-दीर्घाएँ हैं, जिनमें श्री रामचन्द्रजी के चरित्र का बड़ा ही सुन्दर चित्रण है। जब ऋषिगण उन्हें देखते हैं, तो उनका भी मन मोह लेते हैं। | | There are beautiful picture galleries in every house, in which the characters of Shri Ramchandraji are depicted very beautifully. When the sages see them, they steal their hearts too. |
| ✨ ai-generated | |
|
|