श्री रामचरितमानस  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  चौपाई 9a.3
 
 
काण्ड 7 - चौपाई 9a.3 
जहँ तहँ नारि निछावरि करहीं। देहिं असीस हरष उर भरहीं॥
कंचन थार आरतीं नाना। जुबतीं सजें करहिं सुभ गाना॥3॥ `
 
अनुवाद
 
 स्त्रियाँ यहाँ-वहाँ जल त्याग रही हैं और मन ही मन प्रसन्न होकर आशीर्वाद दे रही हैं। अनेक युवतियाँ (विवाहित) सोने की थालियों में नाना प्रकार की आरती सजा रही हैं और मंगलगीत गा रही हैं।
 
Women are sacrificing water here and there and giving blessings with joy in their hearts. Many young (married) women are decorating various types of aartis on gold plates and singing auspicious songs.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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