श्री रामचरितमानस  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  चौपाई 95a.2
 
 
काण्ड 7 - चौपाई 95a.2 
सुनि तव प्रश्न सप्रेम सुहाई। बहुत जनम कै सुधि मोहि आई॥
सब निज कथा कहउँ मैं गाई। तात सुनहु सादर मन लाई॥2॥
 
अनुवाद
 
 तुम्हारे सुंदर प्रेमपूर्ण प्रश्न सुनकर मुझे अपने अनेक जन्मों की याद आ गई। मैं तुम्हें अपनी पूरी कहानी विस्तार से सुनाऊँगा। हे प्रिय! कृपया आदर और ध्यान से सुनो।
 
Hearing your beautiful loving questions reminded me of my many births. I will tell you my whole story in detail. O dear! Please listen with respect and attention.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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