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काण्ड 7 - चौपाई 95a.2  |
सुनि तव प्रश्न सप्रेम सुहाई। बहुत जनम कै सुधि मोहि आई॥
सब निज कथा कहउँ मैं गाई। तात सुनहु सादर मन लाई॥2॥ |
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अनुवाद |
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तुम्हारे सुंदर प्रेमपूर्ण प्रश्न सुनकर मुझे अपने अनेक जन्मों की याद आ गई। मैं तुम्हें अपनी पूरी कहानी विस्तार से सुनाऊँगा। हे प्रिय! कृपया आदर और ध्यान से सुनो। |
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Hearing your beautiful loving questions reminded me of my many births. I will tell you my whole story in detail. O dear! Please listen with respect and attention. |
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