श्री रामचरितमानस  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  चौपाई 43.4
 
 
काण्ड 7 - चौपाई 43.4 
बड़ें भाग मानुष तनु पावा। सुर दुर्लभ सब ग्रंथन्हि गावा॥
साधन धाम मोच्छ कर द्वारा। पाइ न जेहिं परलोक सँवारा॥4॥
 
अनुवाद
 
 यह परम सौभाग्य है कि हमें यह मानव शरीर प्राप्त हुआ है। सभी शास्त्रों ने कहा है कि यह शरीर देवताओं के लिए भी दुर्लभ है (उन्हें यह कठिनाई से प्राप्त होता है)। यही साधना का धाम और मोक्ष का द्वार है। इसे पाकर भी जिसने अपना परलोक नहीं बनाया,
 
It is a great fortune that we have received this human body. All the scriptures have said that this body is rare even for the gods (they get it with difficulty). This is the abode of Sadhana and the door to salvation. Even after getting this, one who has not made his other world,
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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