श्री रामचरितमानस  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  चौपाई 42.3
 
 
काण्ड 7 - चौपाई 42.3 
नित नव चरित देखि मुनि जाहीं। ब्रह्मलोक सब कथा कहाहीं॥
सुनि बिरंचि अतिसय सुख मानहिं। पुनि पुनि तात करहु गुन गानहिं॥3॥
 
अनुवाद
 
 ऋषिगण प्रतिदिन नए-नए चरित्र देखते हैं और ब्रह्मलोक में जाकर सब कथाएँ कहते हैं। यह सुनकर ब्रह्माजी बहुत प्रसन्न होते हैं (और कहते हैं-) हे प्रिये! श्री रामजी के गुणों का बार-बार गान करो।
 
The sages see new characters every day and go to Brahmaloka and tell all the stories. Brahmaji feels very happy on hearing this (and says-) O dear! Sing the virtues of Shri Ramji again and again.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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