श्री रामचरितमानस » काण्ड 7: उत्तर काण्ड » चौपाई 129.2 |
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| | काण्ड 7 - चौपाई 129.2  | एहि महँ रुचिर सप्त सोपाना। रघुपति भगति केर पंथाना॥
अति हरि कृपा जाहि पर होई। पाउँ देइ एहिं मारग सोई॥2॥ | | अनुवाद | | इसमें सात सुंदर सीढ़ियाँ हैं, जो श्री रघुनाथजी की भक्ति प्राप्त करने का मार्ग हैं। केवल वही व्यक्ति इस मार्ग पर पैर रखता है जिस पर श्री हरि की कृपा होती है। | | It has seven beautiful steps, which are the path to attain devotion to Shri Raghunathji. Only the one who is blessed by Shri Hari sets foot on this path. |
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