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काण्ड 7 - छंद 27.1  |
मनि दीप राजहिं भवन भ्राजहिं देहरीं बिद्रुम रची।
मनि खंभ भीति बिरंचि बिरची कनक मनि मरकत खची॥
सुंदर मनोहर मंदिरायत अजिर रुचिर फटिक रचे।
प्रति द्वार द्वार कपाट पुरट बनाइ बहु बज्रन्हि खचे॥ |
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अनुवाद |
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घरों में रत्नजड़ित दीपों की शोभा है। मूंगे से बनी चौखटें चमक रही हैं। रत्नजड़ित स्तंभ हैं। पन्ने जड़ित स्वर्ण दीवारें इतनी सुंदर लगती हैं मानो ब्रह्मा ने उन्हें विशेष रूप से बनाया हो। महल सुंदर, मनमोहक और विशाल हैं। उनमें सुंदर स्फटिक के आँगन हैं। प्रत्येक द्वार पर अनेक नक्काशीदार हीरे जड़े हुए स्वर्ण द्वार हैं। |
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Gemstone lamps adorn the houses. The doorsteps made of corals shine. There are pillars made of gemstones. The gold walls studded with emeralds look so beautiful as if Brahma had specially made them. The palaces are beautiful, charming and huge. They have beautiful crystal courtyards. Every door has golden doors studded with many carved diamonds. |
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