श्री रामचरितमानस » काण्ड 7: उत्तर काण्ड » छंद 102a.3 |
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| | काण्ड 7 - छंद 102a.3  | कलिकाल बिहाल किए मनुजा। नहिं मानत क्वौ अनुजा तनुजा॥
नहिं तोष बिचार न सीतलता। सब जाति कुजाति भए मगता॥3॥ | | अनुवाद | | कलियुग ने मनुष्य को दुःखी बना दिया है। कोई अपनी बहन-बेटियों का भी ध्यान नहीं रखता। (लोगों में) न संतोष है, न बुद्धि है, न शांति है। सभी जाति-पाति के लोग भिखारी बन गए हैं। | | Kaliyuga has made man miserable. No one even thinks about his sisters and daughters. There is no satisfaction, no wisdom and no calmness (among people). People of all castes and low castes have become beggars. |
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