श्री रामचरितमानस  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  दोहा 94
 
 
काण्ड 6 - दोहा 94 
उमा बिभीषनु रावनहि सन्मुख चितव कि काउ।
सो अब भिरत काल ज्यों श्री रघुबीर प्रभाउ॥94॥
 
अनुवाद
 
 (भगवान शिव कहते हैं-) हे उमा! क्या विभीषण कभी रावण की ओर आँख उठाकर भी देख सकता था? परन्तु अब तो वह मृत्यु के समान उससे युद्ध कर रहा है। यह श्री रघुवीर का प्रभाव है।
 
(Lord Shiva says-) O Uma! Could Vibhishan ever even look at Ravana with raised eyes? But now he is fighting with him like death. This is the effect of Shri Raghuveer.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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