श्री रामचरितमानस » काण्ड 6: युद्ध काण्ड » चौपाई 94.3 |
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| | काण्ड 6 - चौपाई 94.3  | रे कुभाग्य सठ मंद कुबुद्धे। तैं सुर नर मुनि नाग बिरुद्धे॥
सादर सिव कहुँ सीस चढ़ाए। एक एक के कोटिन्ह पाए॥3॥ | | अनुवाद | | (और कहा-) हे अभागे! मूर्ख, नीच और दुष्ट बुद्धि वाले! तूने देवताओं, मनुष्यों, ऋषियों, नागों, सभी का विरोध किया। तूने भगवान शिव का बड़ा आदर किया। इसीलिए तुझे प्रत्येक के बदले करोड़ों मिले। | | (And said-) Oh unfortunate one! Foolish, lowly and evil minded one! You opposed all the gods, humans, sages, snakes. You respected Lord Shiva with great respect. That is why you got crores in return of each one. |
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