श्री रामचरितमानस  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  चौपाई 73.6
 
 
काण्ड 6 - चौपाई 73.6 
ब्याल पास बस भए खरारी। स्वबस अनंत एक अबिकारी॥
नट इव कपट चरित कर नाना। सदा स्वतंत्र एक भगवाना॥6॥
 
अनुवाद
 
 जो स्वतंत्र, अनंत, एक (अविभाजित) और अपरिवर्तनशील हैं, वे खर के शत्रु श्री रामजी (लीला करके) सर्प पाश के वश में आ गए (उससे बंध गए) श्री रामचंद्रजी तो सर्वदा स्वतंत्र, एक, (अद्वितीय) परमेश्वर हैं। वे अभिनेता की तरह अनेक प्रकार की दिखावटी भूमिकाएँ करते हैं।
 
Who is independent, infinite, one (undivided) and unchangeable, Shri Ramji, the enemy of Khar, came under the control of the serpent noose (by leela) (got tied by it) Shri Ramchandraji is always independent, one, (unique) God. He performs many types of showy roles like an actor.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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