श्री रामचरितमानस  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  चौपाई 43.1
 
 
काण्ड 6 - चौपाई 43.1 
भय आतुर कपि भागत लागे। जद्यपि उमा जीतिहहिं आगे॥
कोउ कह कहँ अंगद हनुमंता। कहँ नल नील दुबिद बलवंता॥1॥
 
अनुवाद
 
 (भगवान शिव कहते हैं-) वानर भयभीत होकर भागने लगे, यद्यपि हे उमा! अन्त में विजय उन्हीं की होगी। कोई कहता है- अंगद-हनुमान कहाँ हैं? बलवान नल, नील और द्विविद कहाँ हैं?
 
(Lord Shiva says-) The monkeys started running away in fear, although O Uma! In the end (they will be the ones) to win. Someone says- where are Angad-Hanuman? Where are the powerful Nala, Neel and Dwivid?
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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