श्री रामचरितमानस  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  चौपाई 30.4
 
 
काण्ड 6 - चौपाई 30.4 
तै निसिचर पति गर्ब बहूता। मैं रघुपति सेवक कर दूता॥
जौं न राम अपमानहिं डरऊँ। तोहि देखत अस कौतुक करउँ॥4॥
 
अनुवाद
 
 तुम राक्षसों के राजा हो और बड़े अभिमानी हो, परन्तु मैं श्री रघुनाथजी के सेवक (सुग्रीव) का दूत (सेवक का सेवक) हूँ। यदि मैं श्री रामजी का अपमान करने से नहीं डरता, तो तुम्हारे सामने ऐसा तमाशा करूँगा कि-
 
You are the king of demons and are very arrogant, but I am the messenger (servant of the servant) of Shri Raghunathji's servant (Sugreev). If I am not afraid of insulting Shri Ramji, then I will do such a spectacle in front of you that-
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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