श्री रामचरितमानस » काण्ड 5: सुन्दर काण्ड » चौपाई 7.4 |
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| | काण्ड 5 - चौपाई 7.4  | कहहु कवन मैं परम कुलीना। कपि चंचल सबहीं बिधि हीना॥
प्रात लेइ जो नाम हमारा। तेहि दिन ताहि न मिलै अहारा॥4॥ | | अनुवाद | | बताओ, मैं कितना बड़ा कुलीन हूँ? मैं तो (जाति का) चंचल बन्दर हूँ और सब प्रकार से नीच हूँ। यदि कोई प्रातःकाल हमारा (बंदरों का) नाम ले ले, तो उसे उस दिन भोजन नहीं मिलेगा। | | Tell me, how great a noble am I? I am a playful monkey (by caste) and I am lowly in every way. If anyone takes our (monkeys) name in the morning, he will not get any food that day. |
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