श्री रामचरितमानस » काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड » चौपाई 19.2 |
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| | काण्ड 4 - चौपाई 19.2  | सुनि सुग्रीवँ परम भय माना। बिषयँ मोर हरि लीन्हेउ ग्याना॥
अब मारुतसुत दूत समूहा। पठवहु जहँ तहँ बानर जूहा॥2॥ | | अनुवाद | | हनुमान के वचन सुनकर सुग्रीव बहुत भयभीत हो गया। (और बोला-) सांसारिक भोगों ने मेरा ज्ञान हर लिया है। अब हे पवनपुत्र! जहाँ-जहाँ वानरों के समूह रहते हैं, वहाँ-वहाँ दूतों के समूह भेजो। | | Hearing Hanuman's words, Sugreeva was very afraid. (And said-) The worldly pleasures have taken away my knowledge. Now O son of the wind! Wherever the groups of monkeys live, send groups of messengers there. |
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