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काण्ड 3 - चौपाई 29a.7  |
की मैनाक कि खगपति होई। मम बल जान सहित पति सोई॥
जाना जरठ जटायू एहा। मम कर तीरथ छाँड़िहि देहा॥7॥ |
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अनुवाद |
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यह या तो मैनाक पर्वत है या पक्षियों के स्वामी गरुड़। परन्तु वह (गरुड़) अपने स्वामी विष्णु के साथ-साथ मेरे बल को भी जानता है! (जब वह थोड़ा निकट आया) तो रावण ने उसे पहचान लिया (और कहा-) यह बूढ़ा जटायु है। यह मेरे हाथ के पवित्र स्थान में अपना शरीर त्याग देगा। |
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This is either Mainak mountain or Garuda, the lord of birds. But he (Garuda) knows my strength along with his lord Vishnu! (When he came a little closer) Ravana recognized him (and said-) This is old Jatayu. He will leave his body in the holy place of my hand. |
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