श्री रामचरितमानस » काण्ड 3: अरण्य काण्ड » छंद 20a.4 |
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| | काण्ड 3 - छंद 20a.4  | रिपु परम कोपे जानि। प्रभु धनुष सर संधानि॥
छाँड़े बिपुल नाराच। लगे कटन बिकट पिसाच॥4॥ | | अनुवाद | | यह जानकर कि शत्रु अत्यंत क्रोधित है, भगवान ने अपने धनुष पर बाण चढ़ाया और अनेक बाण छोड़े, जिनसे भयानक राक्षस मरने लगे। | | Knowing that the enemy was extremely enraged, the Lord strung an arrow to his bow and shot many arrows, which began killing terrible demons. |
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