श्री रामचरितमानस » काण्ड 2: अयोध्या काण्ड » दोहा 108 |
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| | काण्ड 2 - दोहा 108  | राम कीन्ह बिश्राम निसि प्रात प्रयाग नहाइ।
चले सहितसिय लखन जन मुदित मुनिहि सिरु नाइ॥108॥ | | अनुवाद | | श्रीराम ने रात्रि विश्राम वहीं किया और प्रातःकाल प्रयागराज में स्नान करके तथा ऋषि को प्रसन्नतापूर्वक प्रणाम करके श्री सीता, लक्ष्मण और सेवक गुह के साथ प्रस्थान किया। | | Shri Ram rested there for the night and in the morning after taking a bath at Prayagraj and happily paying obeisance to the sage, He left with Shri Sita, Lakshman and servant Guha. |
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