श्री रामचरितमानस » काण्ड 2: अयोध्या काण्ड » चौपाई 96.4 |
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| | काण्ड 2 - चौपाई 96.4  | जेहि बिधि अवध आव फिरि सीया। होइ रघुबरहि तुम्हहि करनीया॥
नतरु निपट अवलंब बिहीना। मैं न जिअब जिमि जल बिनु मीना॥4॥ | | अनुवाद | | अतः आप और श्री रामचन्द्र जी सीता को अयोध्या वापस लाने का उपाय करें। अन्यथा मैं बिना किसी सहारे के जीवित नहीं रह पाऊँगा, जैसे मछली जल के बिना जीवित नहीं रह सकती। | | Therefore, you and Shri Ramchandra should take measures to bring Sita back to Ayodhya. Otherwise, I will not be able to live without any support, just like a fish cannot live without water. |
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