|
|
|
काण्ड 2 - चौपाई 191.1  |
बेगहु भाइहु सजहु सँजोऊ। सुनि रजाइ कदराइ न कोऊ॥
भलेहिं नाथ सब कहहिं सहरषा। एकहिं एक बढ़ावइ करषा॥1॥ |
|
अनुवाद |
|
(उसने कहा-) हे भाइयो! जल्दी करो और सब कुछ तैयार कर लो। मेरा आदेश सुनकर किसी को भी डर नहीं लगना चाहिए। सबने हर्षित होकर कहा- हे प्रभु! बहुत अच्छा हुआ और एक-दूसरे को प्रोत्साहित करने लगे। |
|
(He said-) O brothers! Hurry up and prepare all the things. No one should feel timid on hearing my order. Everyone said with joy- O Lord! Very good and started encouraging each other. |
|
✨ ai-generated |
|
|