श्री रामचरितमानस » काण्ड 2: अयोध्या काण्ड » चौपाई 156.4 |
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| | काण्ड 2 - चौपाई 156.4  | गारीं सकल कैकइहि देहीं। नयन बिहीन कीन्ह जग जेहीं॥
एहि बिधि बिलपत रैनि बिहानी। आए सकल महामुनि ग्यानी॥4॥ | | अनुवाद | | सब लोग कैकेयी को गालियाँ देते हैं, जिसने सारे संसार को अंधा बना दिया है! इसी तरह विलाप करते हुए रात बीत गई। सुबह होते ही सभी बड़े-बड़े ज्ञानी ऋषिगण आ गए। | | Everyone abuses Kaikeyi, who has made the whole world blind! The night passed in this way lamenting. In the morning all the great wise sages came. |
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