श्री रामचरितमानस » काण्ड 2: अयोध्या काण्ड » चौपाई 138.2 |
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| | काण्ड 2 - चौपाई 138.2  | बिबुध बिपिन जहँ लगि जग माहीं। देखि रामबनु सकल सिहाहीं॥
सुरसरि सरसइ दिनकर कन्या। मेकलसुता गोदावरि धन्या॥2॥ | | अनुवाद | | संसार में जहाँ-जहाँ देवताओं के वन हैं, वे सब श्री राम के वन को, गंगा, सरस्वती, सूर्यकुमारी यमुना, नर्मदा, गोदावरी आदि पुण्य नदियों को देखकर काँप उठते हैं। | | Wherever there are forests of gods in the world, they all shudder on seeing the forest of Shri Rama, the blessed rivers like Ganga, Saraswati, Suryakumari Yamuna, Narmada, Godavari etc. |
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