श्री रामचरितमानस » काण्ड 2: अयोध्या काण्ड » चौपाई 119.3 |
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| | काण्ड 2 - चौपाई 119.3  | जौं पै इन्हहिं दीन्ह बनबासू। कीन्ह बादि बिधि भोग बिलासू॥
ए बिचरहिं मग बिनु पदत्राना। रचे बादि बिधि बाहन नाना॥3॥ | | अनुवाद | | जब विधाता ने उन्हें निर्वासित किया है, तब उसने व्यर्थ ही सुख-सुविधाएँ उत्पन्न की हैं। जब वे बिना जूतों (नंगे पैर) के सड़क पर चल रहे हैं, तब विधाता ने व्यर्थ ही अनेक वाहन (सवारी) उत्पन्न किए हैं। | | When the Creator has exiled them, then He has created pleasures and luxuries in vain. When they are walking on the road without shoes (bare feet), then the Creator has created many vehicles (rides) in vain. |
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