श्री रामचरितमानस » काण्ड 2: अयोध्या काण्ड » चौपाई 103.3 |
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| | काण्ड 2 - चौपाई 103.3  | सुनु रघुबीर प्रिया बैदेही। तब प्रभाउ जग बिदित न केही॥
लोकप होहिं बिलोकत तोरें। तोहि सेवहिं सब सिधि कर जोरें॥3॥ | | अनुवाद | | हे रघुवीर की प्रिय जानकी! सुनो, संसार में तुम्हारा प्रभाव कौन नहीं जानता? लोग तुम्हें देखते ही जगत के रक्षक हो जाते हैं। सभी सिद्धियाँ हाथ जोड़कर तुम्हारी सेवा करती हैं। | | O Janaki, beloved of Raghuveer! Listen, who does not know your influence in the world? People become protectors of the world just by looking at you (with your kind glance). All the Siddhis serve you with folded hands. |
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