श्री रामचरितमानस » काण्ड 1: बाल काण्ड » दोहा 90 |
|
| | काण्ड 1 - दोहा 90  | हियँ हरषे मुनि बचन सुनि देखि प्रीति बिस्वास।
चले भवानिहि नाइ सिर गए हिमाचल पास॥90॥ | | अनुवाद | | पार्वती के वचन सुनकर और उनका प्रेम तथा विश्वास देखकर ऋषि हृदय में बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने भवानी को सिर नवाया और विदा होकर हिमाचल पहुँचे। | | Hearing Parvati's words and seeing her love and faith, the sage felt very happy in his heart. He bowed his head to Bhavani and left and reached Himachal. |
| ✨ ai-generated | |
|
|