श्री रामचरितमानस » काण्ड 1: बाल काण्ड » दोहा 262 |
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| | काण्ड 1 - दोहा 262  | बंदी मागध सूतगन बिरुद बदहिं मतिधीर।
करहिं निछावरि लोग सब हय गय धन मनि चीर॥262॥ | | अनुवाद | | पंडित, भाट, मागध और सूत लोग राजा की स्तुति गा रहे हैं। सभी लोग घोड़े, हाथी, धन, रत्न और वस्त्र भेंट कर रहे हैं। | | The wise men, Bhaats, Magadhs and Sutas are singing praises of the king. Everyone is offering horses, elephants, wealth, precious stones and clothes. |
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