श्री रामचरितमानस  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  दोहा 239
 
 
काण्ड 1 - दोहा 239 
सतानंद पद बंदि प्रभु बैठे गुर पहिं जाइ।
चलहु तात मुनि कहेउ तब पठवा जनक बोलाइ॥239॥
 
अनुवाद
 
 शतानंदजी के चरणों में प्रणाम करके भगवान श्री रामचंद्रजी गुरुजी के पास बैठ गए। तब ऋषि बोले- हे प्रिये! आओ, जनकजी ने तुम्हें बुलाया है।
 
After paying obeisance to the feet of Shatanandji, Lord Shri Ramchandraji sat beside the Guruji. Then the sage said- O dear! Come, Janakji has called you.
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.