श्री रामचरितमानस  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  चौपाई 93.4
 
 
काण्ड 1 - चौपाई 93.4 
कोउ मुख हीन बिपुल मुख काहू। बिनु पद कर कोउ बहु पद बाहू॥
बिपुल नयन कोउ नयन बिहीना। रिष्टपुष्ट कोउ अति तनखीना॥4॥
 
अनुवाद
 
 कुछ बिना चेहरों वाले होते हैं, कुछ के कई चेहरे होते हैं, कुछ के हाथ-पैर नहीं होते, कुछ के कई हाथ-पैर होते हैं। कुछ की कई आँखें होती हैं, कुछ की एक भी नहीं। कुछ बहुत मोटे होते हैं, कुछ बहुत दुबले-पतले।
 
Some are without faces, some have many faces, some are without limbs, some have multiple arms and legs. Some have many eyes, some don't have any. Some are very fat, some are very skinny.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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